पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न https://shivchalisas.com